While the whole nation is tense with the possible outcome of the Ayodhya title suit, Supreme Court of India has stayed till 28th Sept the announcement of judgment by Allahabad High Court. Now the nation has to held its breath till 28th Sept. As the situation on the ground is, there is no hope for any reconciliation between the contesting parties but the Supreme Court has chosen to give it a chance.
एगो याचिका पर सुनवाई करत भारत के उच्चतम न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के २८ सितम्बर ले आपन फैसला सुनावे से रोक दिहले बा. एकर मतलब ई भइल कि जवन फैसला काल्हु आवे वाला रहुवे अब कुछ दिन बाद आई काहे कि हो सकेला कि तब ले सुप्रीम कोर्ट फेर कवनो दोसरा निर्णय पर चहुँप जाव.
एगो रिटायर्ड सिविल सर्वेंट के एह बाति के चिन्ता बा कि एह फैसला से समाज में तनाव बढ़ सकेला आ ऊ आपन याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल कइले रहले. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ओह याचिका के शरारतसे भरल बतावत रद्द कर दिहले रहुवे आ याचिका करे वाला रमेश चन्द त्रिपाठी पर पचास हजार रुपिया के जुर्मानो ठोक दिहले रहुवे. ओहिजा तीन जज के बेंच में एक जज याचिका रद्द करे के खिलाफत कइले रहले. एहिजा सुप्रीमो कोर्ट में एगो जस्टिस एह याचिका के रद्द कर दिहल चाहत रहले बाकिर दोसरका जज के राय के विरोध ना कइले आ याचिका पर २८ तारीख के सुनवाई करे के तारीख दिहले बा.
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