सुप्रीम कोर्ट फैसला दे दिहले बिया कि अब से पुलिस हिरासत में भा जेल में बन्द अपराधी चुनाव ना लड़ पइहें काहे कि चुनाव लड़े वाला के मतदाता होखल जरूरी होला. मतदान के अधिकार कानून से मिलेला आ कानून ओकरा के छिनियो सकेला. जब जेल में बंद आदमी के मतदान के अधिकार ना होला त ऊ चुनाव लड़े के अधिकार कइसे पा ली. अपराधी सांसद विधायकन के संतोष लायक बात इहे बा कि कोर्ट के ई आदेश अब से लागू होखी पिछला तारीख से ना.
एह फैसला का बाद राजनीति के खिलाड़ियन में खुसुर फुसर शुरू हो गइल बा आ अचरज ना होखे के चाहीं अगर केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से एह फैसला पर फेर से विचार करे के निहोरा कर देव.
बाकिर तबले जेल में बन्द नेता लोग आपन जमानत करावे में लाग गइल बा काहे कि अब जेल में रहत चुनाव लड़ल संभव ना हो पाई.
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