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बनारस उत्सव के उद्घाटन करत देश मे पुनर्जागरण के जरूरत बतवली मीरा कुमार

वाराणसी 24 अक्टूबर (वार्ता) लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार आज वाराणसी में चार दिन के .बनारस उत्सव. के उद्घाटन करत कहली कि यूरोप के सगरी देशन मे आज से दो सौ तीन सौ साल पहिले पुनर्जागरण भइल जवन बढ़िया रहल. कहली कि सही मायने में अपना देश में ना त पुनर्जागरण भइल ना ही कवनो औद्योगिक क्रांति.

मीरा कुमार कहली कि एह देश मे एक से बढके एक क्रांतिकारी.समाज सुधारक आ विद्वान भइले लेकिन देश मे जवन क्रांति होखल चाहत रहे तवन ना भइल. एह पर विचारे के होखी. कहली कि आजु जवन कुछ ठीक बा तवन आगहू का जमाना में ठीके रही ना कहल जा सके.

मीरा कुमार कहली कि हमनी के उधार के पुनर्जागरण के जरुरत नइखे. हमनी के त ओह पुनर्जागरण के जरुरत बा जवन हमनी के माटी आ हवा का हिसाब से होखे.

मीरा कुमार चिंता जतवली कि एह देश मे हुनर के मान नइखे मिलत. कहली कि वाराणसी समेत अनेके जगहा के हस्तशिल्प के कबो सगरी दुनिया मे धाक रहल लेकिन अब बुनकर समेत अउरिओ कारीगर रिक्शा चलावत बाड़े भा मनरेगा में मजदूरी करत बाड़े.

लोकसभा अध्यक्षा कहली कि वाराणसी क्रांतिकारियन के धरती ह आ क्रांति सडक, चौराहा, खेतन में ना होके दिमाग में आ सोच में होला. याद करवली कि संत रविदास आ कबीरदास के आवाज मे क्रांति रहल. आज से छह सौ साल पहिले ई दुनु लगो समाज मे जवन क्रांति पैदा कइले आ
ई लोग भारत के संस्कृति के प्रतीक रहले.

कहली कि जब देश रुढियन आ परम्परा में जकडल रहे तन दुनु जने सामाजिक क्रांति पैदा कइले बाकिर आपन काम ना छोड़ले. संत रविदास जूते गांठत रह गइले आ संत कबीरदास कपडा बुनत. दुनु जने श्रम के प्रधानता दीहलन.

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