नयी दिल्ली, 03 अप्रैल. देश भर में काल्हु एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून मामिला में निर्दोषन के गिरफ्तारी पर लागल रोक का खिलाफ भइल बवाल से बेपरवाह सुप्रीम कोर्ट अपना पिछला फैसला पर रोक लगावे से इल्कार कर दिहलसि.
एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के होखत गलत इस्तेमाल पर रोक लगावे का अपना फैसला पर फेरु से विचार करे के मौदी सरकार के निहोरा हालांकि अदालत मान लिहलसि आ कहलसि कि दस दिन बाद अदालत एह पर सुनावई करी. एह मामिला के सगरी फरीकन के आपन आपन पक्ष लिखित रूप में पेश करे के कहले बावे सुप्रीम कोर्ट.
आजु सुनवाई करत घरी आ एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के दलील सुनला का बाद न्यायमूर्ति गोयल कहनि कि 20 मार्च के फैसला से एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कवनो प्रावधान कमजोर नइखे भइल. कहनी कि हम एह कानून का खिलाफ नइखीं बाकिर कवनो बेकसूर के सजा ना मिले के चाहीं.
सबला मजेदार त ई रहल कि देश के विरोधियन के तर्क तबे हवा हो गइल जब सूचना प्रसारण मंत्रालय झूठ खबर छापे सुनावे वालन के मान्यता रद करे के आदेश जारी कइलसि. तुरते देश के सगरी विरोधी कहे लगलन कि एह कानून के बेजा इस्तेमाल हो सकेला. ओह लोग के कुकुरबझाँव सुनि के पीएम कार्यालय ओह आदेश के वापिस ले लेबे के निर्देश जारी कर दिहलसि आ सुचना मंत्रालय ओह आदेश के वापिस लेइयो लिहलसि.
बाकिर इहे लोग ई माने के तइयार नइखे कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के गलत इस्तेमाल हो रहल बा अधिकतर मामिलन में एकरा के ब्लैकमेल करे ला इस्तेमाल कइल जा रहल बा. दहेज विरोधी कानूनो के इहे हाल बा. आ ई सगरी कानून देश के हिन्दुवन के आपिस में लड़वावे भिड़वावे के नीयत से कांग्रेसी सरकार का समय लागू कइल गइल आ भोट पावे का मजबूरी में मोदी जइसन नेतो के एह बाति पर नवे के पड़ गइल बा.
दुख के बाति इहो बा कि उहे लोग जे काल्हु का बवाल का पाछे रहल 10 अप्रैल का दिने आरक्षण का खिलाफ बंद करावे के एलान कइले बाड़ें. मकसद बस एके गो बा – ई देश टूटे, बरबाद हो जाव आ कवनो हालत में देश के हिन्दुवन के एकजुट मत होखे दीहल जाव.
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