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अइला के डर ना, परिकला के डर बा

यूपीए 1 आ 2 का दौरान भइल आ कइल घोटालन का चलते सत्ता से बहराइल कांग्रेस जानत बिया कि चिदम्बरम वाला केस उनुके ले नइखे रहि जाए वाला. एक तरह से ई मोदी सरकार के टेस्ट बैलून हवे. सरकार देखल चाहत बिया कि पीचि के गिरफ्तारी का बाद कांग्रेस आ ओकरा समर्थकन के रवैया कइसन रहत बा. पीचि कांग्रेस के बड़का नेता हउवन आ अगर उनुका के बचावल ना जा सकल त अगिला चोट महतारी बेटा पर होखे वाला बा. हो सकेला कि ओकरा पहिले दामाद पर चोट कइल जाव.
उपर से नीचे ले कांग्रेस के करीब हर बड़का नेता कवनो ना कवनो बड़ घोटाला में शामिल रहल बा भा कवनो दोसरा अपराध में. अपना पहिला सरकार का दौरान मोदी सरकार सावधानी बरतलसि आ एह लोग के अपना निशाना पर ना लिहलसि. बाकिर अपार बहुमत का बाद बनल दोसरको सरकार का दौरान अगर ई कांग्रेसी घोटालाबाज धरइलें ना, आ जेहल में डलइलें ना त मोदी के भगतन के निराशा के सीमा ना रही.
मोदी सरकार कवनो हड़बड़ी में नइखे. ओकरा लगे पूरा समय बा आ ओकरा इहो मालूम बा कि दुश्मन पर तबले वार ना करे के चाहीं जबले ओकरा बच निकले के अनेसा रहो. जवना दिने ओकरा लाग जाई कि महतारी-बेटा-दामाद के घेरल अब पक्का हो गइल बा तहिया एह लोग के बचे के कवनो उमेद ना रहि जाई.
संगही संगे पीचि वाला मामिला में लुटियन जोन के खान मार्केट गिरोह आ अदालतो क परख हो जाए वाला बा. अबहीं ले एह तिकड़ी के जाला साफ नइखे हो पवले. जज बहाली के मामिला कांग्रेसी सरकार का दौरान अइसन बना दिहल गइल बा कि ओकरा पर सरकार के कवनो कंट्रोल नइखे रहि गइल. इन्दिरा गाँधी के जमाना से प्रतिबद्ध न्यायपालिका के रणनीति देशहित पर भारी पड़त आइल बा. अगर पीचि मामिला में अदातल भरोसा जोग काम करत लउकी त सरकार आगे बढ़े के सोची ना त देश के जनता के सोचे के पड़ी कि एह तिकड़ी के जाला साफ करे ला कवन तरीका निकालल जाव.
लुटियन मीडिया के काट सोशल मीडिया का रुप में निकल गइल बाकिर न्यायपालिका के मौजूदा रुख के काट न्यायपालिका का बीचे से निकाले के बा. एह से पीचि वाला मामिला गौर से देखला के जरुरत बा.

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