
आजु अमेरिका के जैक्सन होल मीटिंग का डरे काल्हु अमेरिका के शेयर बाजार तीन फीसदी ढिमला गइल. डाउ जोन्स में एक हजार अंक से अधिका के गिरावट देखे के मिलल. हमनिओ के बाजार जब दू दिन बाद सोमार का दिने खुली त ओह समय डाउ जोन्स के हालात आ सिंगापुर बाजार में निफ्टी के वायदा कारोबार पर बहुत कुछ तय होखी. अलग बाति बा कि हमनी के बाजार विदेशी बाजार का पाछा अन्ह्रराइल ना दउड़े बाकिर दुनिया में आपसा कारोबार अतना अधिका होखेला कि कुछ ना कुछ असर पड़हीं के बा.
अइसनो नइखे कि महँगाई, बेरोजगारी, आ मंदी के बदरी भारत के नइखे छवले. एहिजो लोग बाग महँगाई आ बेरोजगारी से परेशान बा. कोरोना काल का दौरान दुनिया भर में जवना तरह से खाद्यान आ दोसरा सुविधा पर खरचा कइल गइल, करोड़ों लोग के मुफ्त टीकाकरण करावल गइल, आ रिजर्व बैंक बाजार में जवना तरह से पूंजी उलीछलसि ओकर असर गँवे-गँवे अब देखाए लागल बा. तब के हालात में उहो जरुरी रहल आ आजु का हालात में इहो ओतने जरुरी बन गइल बा कि सरकार अपना राजकोषीय नीति में सुधार करे, ब्याड दर बढ़ावल जाव. ई सभ ले के भई गति साँप-छूछून्दर वाली बन गइल बा. उगिलत आन्हर, निगलत कोढ़ी वाला एह कैच टेवेन्टी से कइसे बाचल जाव ई बड़हन चुनौती बन के सामने आइल बा.
दुनिया भर के केन्द्रीय बैंकन के नीति नियन्तन का सभा में एगो रपट पेश कइल गइल बा. एह रपट के पेश करत कहल गइल बा कि अगर राजकोषीय नीति में जरुरी बदलाव ना भइल त बैंक ब्याजे बढ़वला से हालात नइखे सुधरे वाला. उलटे एकरा से नुकसानो होखे के अनेसा रही.
कोरोना काल में दुनिया भर के देश अपना राजकोष के जवना तरह से खोललें ओकरा से तब का हालात सम्हारे में मदद त मिलल बाकिर ओकरा बाद महँगाई अतना बढ़ गइल कि पिछला सौ साल में एकरा जइसन ना भइल रहुवे. अब केन्द्रीय बैंक ब्याजदर बढ़ावल शुरु कर दिहलें बाड़ें जवना से महँगाई पर त कुछ हद ले मदद मिली बाकिर ओकरा बाद के राजकोषीय असंतुलन अउरी बिजड़ जाई. आ हो सकेला कि महँगाई अउरी विकराल रुप धर लेव.
रपट में सलाह दीहल गइल बा कि राजकोषीय नीति आ मौद्रिक नीति में तालमेल बनवले राखल जाव आ सरकार जनता के ई भरोसा देव कि देश पर कर्जा बढ़वला का जगहा सरकार अपना खरचन में कटौती करी आ जरुरत पड़ी त टैक्सो बढ़ावल जा सकेला.
अब एह सभ के अनेसा देखत सोमार का दिने हमनी के बाजारन के रुख का रही ई देखल जाव. बाकिर अतना त जरुर बा कि बहुते सोच सम्हर के सौदा कइल जाव आ ओतने भर कइल जाव कि उलुटा पड़े के हालात में नुकसान बरदाश्त करे भर होखे.
मौद्रिक नीति अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति के आकार अउर विकास दर के प्रबंधन करेले आ एकर फैसला केन्द्रीय बैंक करेली सँ.
राजकोषीय नीति सरकार बनावेले ई सोचत कि ओकरा कतना आ कहवाँ खरचा करे के बा आ एह खरचा के सम्हारे खातिप कतना आ कइसे राजस्व बटोरल जाव.