आजु बाजार बन्द बा त सोचनी काहे ना टेकनिकल चार्ट सीखल जाव.
कुछ दिन पहिले बतवले रहीं कि बाजार के खिलाड़ी दू तरह के होला. एक तरह के लोग कंपना के अध्ययन करेला त दोसरो लोग बाजार के चाल के. पहिला तरह के लोग सोचेला कि कंपनी के फंडा जानल सबसे जरुरी होला त दोसरा तरह के लोग मानेला कि बाजार के हर चाल का पीछे कंपनी के फंडा रहबे करेला. अगर अधिका लोग खरीदे अइहें त बाजार चढ़ी आ अधिका लोग बेचे आई त बाजार गिरी. अब एहीमें बाजार के चालो शोमिल हो जाला. शेयर भा ओकर फ्यूचर भा ऑप्शन खरीदे बाला लोग दू तरह के होला – तेजड़िया आ मंदड़िया.
तेजी करे वाला तेजड़िया ई सोचि के खरीदेला कि दाम बढ़ जाई त बेच देब. ई लोग जानेला कि अगर बड़का खरीददारी होखे लागे, भा लागे कि होखत बा, त भीड़ अपने जुट जाई खरीददारी में आ तब आपन खरीदल शेयर मुनाफा में बेच के निकल जइहें.
ओहि बेरा मदंड़िया जानेला कि हर ऊ चीज जवन उपर उठेला ओकरा एक दिन भा समय नीचे आवहीं के बा. ऊ हर तेजी पर शेयर बेचत जाई कि जहिया गिरी तहिया मुनाफा में खरीद लीहल जाई आ अगिला दौर इंतजार कइल जाई बेचे खातिर.
एही उठापटक भा रस्साकस्सी का बीच बाजार झुलुआ झूलेला. एही सब का चलते एह लोग के मार्केटमेकर कहल जाला. एह लोग का सौदेबाजी का बीच हर शेयर आपन बाजार भाव का इर्दगिर्द घूमत रहेला. अगर दाम ओकरा हैसियत से उपर आ जाई त बाजार में बिकवाली आवे लागी आ अगर नीचे गइल त लिवाली शुरु हो जाई. एकरे के जापानीज सौदागर लिपिबद्ध कइल चहलें आ कैंडल चार्ट के शुरुआत हो गइल.
हर कैंडल के तीन गो अंग होला. पहिला त ओकर शरीर भा कैंडल बॉडी आ ओकर सींग आ पोंछ. एह सींग आ पोंछ के विक कहल जाला. ई तीनो अवयब खास होलें आ कवनो के नजरअंदाज ना कइळ जाला. कैंडल देखावे के रंग तरह तरह के होला. कतहीं हरियर त कतहीं पोला भा रंगहीन. कतहीं लाल त कतहीं करिया. सुविधा खातिर अधिकतर लोग हरियर आ लालरंग के इस्तेमाल करेला.
हर कैंडल एगो मेच के रिपोर्टिंग जइसन होला. कहाँ से शुरु भइल, कब के कमजोर पड़ल आ कहवां बन्द भइल. अगर कम दाम पर खुल के उपर बंद भइल त ऊ तेजी के केंडल कहल जाला आ ओकर रंग अक्सरहां हरियर राखल जाला. अगर ऊँच दाम पर खुल के नीचे भा कम दम होके बंद भइल त ऊ मंदी के केंडल कहल जाला आ ओकर रंग अक्सरहां लाल राखल जाला. एही में शामिल रहेला सींग आ पोंछ, अगर खुल के उपर गइल त सींग बनाई आ खुल के नीचे गिरी त पोंछ. एह सींग आ पोंछ के सामान्यतया लकीर लेखा देखावल जाला.
अगर कवनो कैंडल के सींग होखे ना पोंछ त ओकरा के सवसे बरियार मानल जाला काहे कि ऊ बतावेला कि कवन टीम शुरु से आखिर ले मजबूति बनवले रहि गइल. अगर मंदड़िया (बिकवाल) बरियार पड़ीहें त मंदी वाला कैंडल – बियरिश कैंडल -बनी. एही तरह जब बिकवाल भारी पड़ीहें त ऊ तेजी वाला कैंडल – बुलिश कैंडल – कहाला.
साथही कैंडल के सींग आ पोंछ देखावेला कि कवन टीम बीच बीच में बरिचार पड़ल. अगर सींग बड़हन बा त जान जाईं कि ओह दाम पर बिकवाली शुरु हो जाता आ अगर पोंछ बड़ बनल त तिवाली. आ मैच के आखिरी फैसला सींग भा पोंछ से ना बलुक खुलल आ बंद दाम से होखेला. अगर केंडल बॉडी सींग आ पोंछ का मुकाबले कम बा त जान जाईं कि लिवाल आ बिकवालन का बीच ड्रा हो गइल. भरसक एह तरह के कैंडलन का आधार पर कवनो सौदा ना कइल जाला – कम से कम रिटेल खरीददान भा बिकवालन के त नाहिए करे के चाहीं.
एही सब का चलते इंडिकेटर – संकेतक – के ईजाद भइल. पिछला कुछ कैंडिल के बंद वाला दाम के औसत निकालल के मूविंग एवरेज लंकेतक बनावल जाला. एह में कैंडलन के गिनिती अलग-अलग लीहल जाला. जइसे कि दू सौ कैंडल से बनल 200DMA संकेतक बहुते खास मानल जाला काहे कि ई पिछला दू सौ दिन के औसत रुख बतावेला. एही तरह 50DMA, 20DMA, 10DMA वगैरह लगावल जा सकेला. अगर कम दिन वाला संकेतक अधिका दिन वाला संकेतक का उपर निकल जाला त कहला जाला कि एह शेयर में तेजी देखल जा रहल बा. आ अगर कम दिन वाला संकेतक अधिका दिन वाला संकेतक का नीचे गिरल त कहाला कि बिकवाली तेज हो गइल बा.
अगर कैंडलन आ इंडिकेटरन के एहसे आसान तरीका से सिखावल जा सके, त हमहूं सीखल चाहब. कैंडल चार्टन के व्याकरण एही सबसे बनेला. कवना के दोहा कहल जाई, कवना के चौपाई, आ कवना के छंद ई सभ एही तरह तय होखेला. अबहीं हम व्याकरण का पीछे नइखीं जाए वाला काहे कि ओकरा खातिर अनुभव आ जानकारी दुनु रहे के चाहीं. गँवे-गँवे अगिला पाठ में एह सब के चरचा कइल जाई.
552 total views, 1 views today