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सगरी उमिरिया छछनत जियरा कइसे तोहके पाईं

भोलानाथ गहमरी जी के रचल एगो निर्गुन बहुते मशहूर रहल बा. आजु के शुरुआत ओकरे से करत बानी. कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई, आहि रे बालम चिरई. बन बन ढुंढली, दर दर ढुंढलीं, ढुंढलीं नदी का तीरे, साँझ के ढुंढली, राति के ढुंढली, ढुंढली होत फजीरे जन में ढुंढली, मन में ढुंढली, … Read more

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